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Friday 13 February 2015

"प्रकृति के गोद में" (कविता)

अकेले   बैठे  हैं,  सोच रहे हैं ।
सब  कुछ  है ,  धुप ले रहे हैं ।
         प्रकृति के गोद में।।
पिला-सफेद,सब देख रहे है ।
सरसों फुली है,मटर फुली है।
          प्रकृति के गोद में।।
फसल उगा है,  हरी  भरी  कलियाँ।
सबको सुख देती,हवाओं का बहना।
         प्रकृति के गोद में ।।
बच्चे खुश हैं,खुशियाँ मना रहे है।
लोग  व्यस्त  है  सब  हो रहा है ।
          प्रकृति के गोद में।।
फुल खिल रहे हैं,आभास हो रहा है।
अकेले  बैठे  हैं,  यही  देख  रहे  हैं।
          प्रकृति के गोद में।।
             -----रमेश कुमार सिंह ♌

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