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Sunday 8 March 2015

यहाँ दूसरों को ना लाओ भाई ----।

यहाँ दूसरों को ना लाओ भाई।
पूछेगा अपने सारा लोग भाई।




यह वही जगह है सवँरती थी हँसकर,
वह मेरे नयनों में रहती थी धँसकर,
आँखें उस पर रह जाती थी फँसकर,
लहराते थे, घुघराले काले बाल भाई।




उसकी हँसीं बहुत ही कुछ कहती थी,
फिर भी अपने में सदा मग्न रहती थीं,
खुशियाँ बहुत अपने मन में रखती थी,
देती थी सबको खुशियाँ का राग भाई।

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